Friday, April 16, 2010


******************होने थे जितने खेल मुक़दर के हो गए , हम टूटी नाव ले समुंदर के हो गए ,खुशबु मेरे हाथ को छुकर गुज़र गयी ,हम फूल सबको बाँट के खुद पत्थर के हो गये ***********॥ लिखना था आज वो समय मिल गया..........................कुछ इस तरह लिख दिया की ................सब कुछ लिख दिया ...................

Tuesday, April 13, 2010

सबक ज़िन्दगी के ..............


आज फिर कुछ लिखने को कलम उठाया ...........................पर लिखना ..............कहाँ से शुरु करूं....................पर लिख रहा हूँ ..............

हर ख़ुशी है लोगो के दामन में ,पर एक हसी के लिए वक्त नही, दिन रात दौड़ती दुनिया में, ज़िंदगी के लिए ही वक्त नही ! ". ..............