ऐसी महगाईं मैं क्या करें आदमी, पेट बच्चों का केसे भरें आदमी
खून पसीना बहाकर भी रोटी नही ,केसे अपना गुजरा करें आदमी
बिक चुके सारे नेता मेरे देश के ,केसे सरहद पे जाकर लड़े आदमी
दोरे-हाज़ीर मैं बच्चें जवां हो गए ,और कितनी तरक्की करें आदमी
आज कहने को 'सादाब ' मज़बूर हैं ,सक्ल से हयवां लगे आदमी "
Thursday, October 16, 2008
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